हमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती है,
हमारे कुछ गुनाहों की सजा भी साथ चलती है,
हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती हैं,
और अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ तो दुआ भी साथ चलती हैं।
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जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था ,
माँ ने जब गोद में उठा के प्यार किया था।
माँग लू यह मन्नत के फिर यही यहाँ मिले
फिर वही गोद फिर वही माँ मिले।
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