Thursday, September 12, 2019

Shayari on maa


हमारे कुछ गुनाहों की सजा  भी साथ चलती है,
हमारे कुछ गुनाहों की सजा  भी साथ चलती है,

हम अब तनहा नहीं चलते दवा भी साथ चलती हैं,
और अभी जिंदा है माँ मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूँ  तो दुआ भी साथ चलती हैं।

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जन्नत का हर लम्हा दीदार किया था ,
माँ ने जब गोद में उठा के प्यार किया था।

माँग लू यह मन्नत के फिर यही यहाँ मिले
फिर वही गोद फिर वही माँ मिले।

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