आज मनुष्य ने बाहरी दुनिया में बहुत प्रकाश पाया है। बिजली की रोशनी हैं जो रात को दिन में बदल देती हैं। बाहर के अंधेरे का डर दूर हो गया है। जो कुछ बचता है, वह है प्रकाश की खोज। बाहर के अंधेरे से मुक्त हुआ मनुष्य, आज अपने भीतर गहरे अंधकार को महसूस कर रहा है। यह अंधेरा गायब नहीं हो रहा है बल्कि बढ़ता जा रहा है। मनुष्य इस अंधेरे को भूलने की कोशिश करने के लिए मजबूर है।
यह अंधकार मानव स्तर पर बहुत मजबूत रूप में प्रकट होता है।