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Showing posts from December, 2024

हिम्मत

 अंधेरे में एक करोड का हीरा गिर गया था, उसे ढूंढने के लिए पाँच रूपएं की मोमबत्ती ने सहयोग किया। अभी बताओ वह पाँच रूपएं की एक छोटी सी मोमबत्ती थी तो हीरा मिला अगर उस समय मोमबत्ती काम नहीं करती तो हीरा कहीं गुम हो जाता। मोमबत्ती की तरह इंसान भी है, इंसान कितना भी छोटा हो अगर वह सही वक्त पर काम आता है तो वह इंसान छोटा नहीं सबसे बड़ा आदमी कहलाता है। जीवन में तकलीफ उसी को आती है, जो हमेशा जवाबदारी" उठाने को तैयार रहते है और जवाबदारी लेनेवाले कभी हारते नहीं, यातो जीतते" है, या फिर "सिखते है।  अभिमन्यु की एक बात बड़ी शिक्षा देती है.....  "हिम्मत से हारना,  पर हिम्मत मत हारना ।"

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Guru Gobind Singh Ji

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  Satnaam Waheguru ji  Guru Gobind Singh Ji 

शिव भोलेनाथ स्तुति

 जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,   जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,   जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,   निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,   मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,   त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,   काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,   नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो, किस मुख से हे गुणातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,   जय भवकारक, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,   दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर की जय हो,   पार लगा दो भव सागर से, बनकर करूणाधार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय मनभावन, जय अतिपावन, शोकनशावन,शिव शम्भो   विपद विदारन, ...

प्रभू का सिमरन

  प्रभू का सिमरन हे मेरे पातशाह! (कृपा कर) मुझे तेरे दर्शन का आनंद प्राप्त हो जाए। हे मेरे पातशाह! मेरे दिल की पीड़ा को तूँ ही जानता हैं। कोई अन्य क्या जान सकता है ? ॥ रहाउ ॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सदा कायम रहने वाला मालिक है, तूँ अटल है। जो कुछ तूँ करता हैं, वह भी उकाई-हीन है (उस में कोई भी उणता-कमी नहीं)। हे पातशाह! (सारे संसार में तेरे बिना) अन्य कोई नहीं है (इस लिए) किसी को झूठा नहीं कहा जा सकता ॥१॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सब जीवों में मौजूद हैं, सारे जीव दिन रात तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे मेरे पातशाह! सारे जीव तेरे से ही (मांगें) मांगते हैं। एक तूँ ही सब जीवों को दातें दे रहा हैं ॥२॥ हे मेरे पातशाह! प्रत्येक जीव तेरे हुक्म में है, कोई जीव तेरे हुक्म से बाहर नहीं हो सकता। हे मेरे पातशाह! सभी जीव तेरे पैदा किए हुए हैंऔर,यह सभी तेरे में ही लीन हो जाते हैं ॥३॥ हे मेरे प्यारे पातशाह! तूँ सभी जीवों की इच्छाएं पूरी करता हैं सभी जीव तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे नानक जी के पातशाह! हे मेरे प्यारे! जैसे तुझे अच्छा लगता है, वैसे मुझे (अपने चरणों में) रख। तूँ ही सदा कायम रहने वाला हैं ॥ *राग जैतसरी...