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हिम्मत

 अंधेरे में एक करोड का हीरा गिर गया था, उसे ढूंढने के लिए पाँच रूपएं की मोमबत्ती ने सहयोग किया। अभी बताओ वह पाँच रूपएं की एक छोटी सी मोमबत्ती थी तो हीरा मिला अगर उस समय मोमबत्ती काम नहीं करती तो हीरा कहीं गुम हो जाता। मोमबत्ती की तरह इंसान भी है, इंसान कितना भी छोटा हो अगर वह सही वक्त पर काम आता है तो वह इंसान छोटा नहीं सबसे बड़ा आदमी कहलाता है। जीवन में तकलीफ उसी को आती है, जो हमेशा जवाबदारी" उठाने को तैयार रहते है और जवाबदारी लेनेवाले कभी हारते नहीं, यातो जीतते" है, या फिर "सिखते है।  अभिमन्यु की एक बात बड़ी शिक्षा देती है.....  "हिम्मत से हारना,  पर हिम्मत मत हारना ।"

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Guru Gobind Singh Ji

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  Satnaam Waheguru ji  Guru Gobind Singh Ji 

शिव भोलेनाथ स्तुति

 जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,   जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,   जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,   निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,   मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,   त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,   काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,   नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो, किस मुख से हे गुणातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,   जय भवकारक, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,   दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर की जय हो,   पार लगा दो भव सागर से, बनकर करूणाधार हरे।   पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥   जय मनभावन, जय अतिपावन, शोकनशावन,शिव शम्भो   विपद विदारन, ...

प्रभू का सिमरन

  प्रभू का सिमरन हे मेरे पातशाह! (कृपा कर) मुझे तेरे दर्शन का आनंद प्राप्त हो जाए। हे मेरे पातशाह! मेरे दिल की पीड़ा को तूँ ही जानता हैं। कोई अन्य क्या जान सकता है ? ॥ रहाउ ॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सदा कायम रहने वाला मालिक है, तूँ अटल है। जो कुछ तूँ करता हैं, वह भी उकाई-हीन है (उस में कोई भी उणता-कमी नहीं)। हे पातशाह! (सारे संसार में तेरे बिना) अन्य कोई नहीं है (इस लिए) किसी को झूठा नहीं कहा जा सकता ॥१॥ हे मेरे पातशाह! तूँ सब जीवों में मौजूद हैं, सारे जीव दिन रात तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे मेरे पातशाह! सारे जीव तेरे से ही (मांगें) मांगते हैं। एक तूँ ही सब जीवों को दातें दे रहा हैं ॥२॥ हे मेरे पातशाह! प्रत्येक जीव तेरे हुक्म में है, कोई जीव तेरे हुक्म से बाहर नहीं हो सकता। हे मेरे पातशाह! सभी जीव तेरे पैदा किए हुए हैंऔर,यह सभी तेरे में ही लीन हो जाते हैं ॥३॥ हे मेरे प्यारे पातशाह! तूँ सभी जीवों की इच्छाएं पूरी करता हैं सभी जीव तेरा ही ध्यान धरते हैं। हे नानक जी के पातशाह! हे मेरे प्यारे! जैसे तुझे अच्छा लगता है, वैसे मुझे (अपने चरणों में) रख। तूँ ही सदा कायम रहने वाला हैं ॥ *राग जैतसरी...

अच्छे विचार करे विचार

  पहचान की नुमाईश, जरा कम करें... जहाँ भी "मैं" लिखा है, उसे "हम" करें... हमारी "इच्छाओं" से ज़्यादा "सुन्दर"... "ईश्वर" की "योजनाएँ" होती हैं... पहाड़ो पर बैठकर तप करना सरल है... लेकिन परिवार में सबके बीच रहकर धीरज बनाये रखना कठिन है, और यही सच्चा तप है... "ईश्वर" हमें कभी "सजा" नही देते... हमारे "कर्म" ही हमें "सजा" देते है.. हर "परिस्थिति" में "धैर्य" रखना... "ज्ञान" का सबसे बड़ा "संकेत" है.. "शांत" रहना सीखें... आपका "गुस्सा" किसी और की "जीत" है.. "सफलता" का "मुख्य आधार"... "सकारात्मक सोच" और "निरंतर प्रयास" है "चालाकी" चार दिन "चमकती" है... और "ईमानदारी" ज़िंदगी भर. "शरीर " का वजन बढ़े तो व्यायाम कीजिए... "मन " का बढ़े तो ध्यान कीजिए.. और "धन " का बढ़े तो दान कीजिए..

नाम जप

नाम जप करना जीवन में प्रभु को पाने का एक सुंदर मार्ग हैं,मन को नियंत्रित रखता है नाम जप। सरल और आसान लगता है पर उतना सहज नहीं है,आपको नाम जप हर समय करना है, ताकि एक पल आहे जब आप प्रभु से मिल जाय। नाम जप करते हुए प्रभु के बताए हुए मार्ग पर चलना है। मन में बहुत आतंक होगा, माया तुम्हे अपने पास खींच कर नाम जप से अलग करेगी। मन को एकाग्र करके शांत रखे। प्रभु पर विश्वास रखें। नाम जप ही जीवन में आने वाले कर्म को अच्छा करेगा। काम, क्रोध, लोभ, लालच, अहंकार, भय यह सब से परे होकर नाम जप करें। नाम जप में बहुत शक्ति होती है भक्ति करने की। आप भगवान राम जी के भक्त हनुमान जी को देखे हमेशा राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम नाम जप करते हैं । भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु जी की अराधना करते मंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते है। भक्तों में सर्वश्रेष्ठ देवर्षि नारद भगवान विष्णु जी के निरंतर भगवद-गुणों  नारायण-नारायण नारायण-नारायण नारायण-नारायण नारायण-नारायण का जप करते है ।

Subtraction of numbers solved

 Subtraction of numbers from 1 to 10 in reverse order Magic of of maths in subtraction  1-10=-9 2-9=-7 3-8=-5 4-7=-3 5-6=-1 6-5=1 7-4=3 8-3=5 9-2=7 10-1=9

Addition in doubles

 Simple addition for children  1+1=2 2+2=4 4+4=8 8+8=16 16+16=32 32+32=64 64+64=128 128+128=256 256+256=512 512+512=1024 1024+1024=2048 2048+2048=4096 4096+4096=8192 8192+8192=16384 16384+16384=32768 32768+32768=65536 65536+65536=131072 131072+131072=262144 262144+262144=524288 524288+524288=1048576 1048576+1048576=2097152 2097152+2097152=4194304 4194304+4194304=8388608 8388608+8388608=16777216 16777216+16777216=33554432 33554432+33554432=67108864 67108864+67108864=134217728 134217728+134217728=268435456 268435456+268435456=536870912 536870912+536870912=1073741824 1073741824+1073741824=2147483648 2147483648+2147483648=4294967296 4294967296+4294967296=8589934592 8589934592+8589934592=17179869184 17179869184+17179869184=34359738368 34359738368+34359738368=68719476736 68719476736+68719476736=137438953472 137438953472+137438953472=274877906944

Four Vedas

 The time of the creation of the Vedas was 4500 BC. Veda is derived from the Sanskrit word, which means knowledge Four Vedas:  Rigveda,  Yajurveda,  Samaveda, and  Atharvaveda.  Rig-status, Yaju-transformation,  Sama-dynamic, and  Atharva-root.  Rik is also called Dharma, Yajuh is called Moksha,  Sama is called Kama, and Atharva is also called Artha.  On the basis of these, Dharmashastra, Arthashastra, Kamashastra, and Mokshashastra have been created.

रामायण

रामायण दशरथ की तीन पत्नियाँ – कौशल्या, सुमित्रा , कैकेयी दशरथ के चार पुत्र – राम,लक्ष्मण,भरत,शत्रुघ्न दशरथ: राम के पिता और कौशल के राजा कौशल्या: दशरथ की रानी और राम की माता सुमित्रा: दशरथ की पत्नी; लक्ष्मण और शत्रुघ्न की माता कैकेयी: दशरथ की सबसे छोटी रानी और भरत की माँ जिन्होंने राम के वनवास के लिए कहा था राम के तीन भाई लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न राम: रामायण के मुख्य नायक - भगवान विष्णु का अवतार; कोसल के राजा दशरथ के पुत्र अयोध्या के राजकुमार लक्ष्मण: रानी सुमित्रा के पुत्र और राम के भाई उर्फ लक्ष्मण भरत: राम के भाई और कैकेयी के पुत्र शत्रुघ्न: राम के छोटे भाई जनक: मिथिला के राजा; सीता के पिता, जिन्होंने उन्हें कुंड में पाया था सुनयना: राजा जनक की पत्नी; सीता की माता सीता: जनक की बेटी और राम की पत्नी उर्मिला: लक्ष्मण की पत्नी; राजा जनक की बेटी और सीता की बहन मांडवी: भरत की पत्नी और राजा जनक की बेटी श्रुतकीर्ति: शत्रुघ्न की पत्नी और राजा जनक की बेटी हनुमान: पवन का पुत्र - पवन देवता; राम के भक्त और वानर जनजाति में एक प्रमुख योद्धा राम और सीता के दो पुत्र-लव ,कुश लव: राम और सीता के पुत्र कुश...

रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥

 रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥ सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम ॥ भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम ॥  जानकीरमणा सीताराम जय जय राघव सीताराम ॥ रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥ 

Humanity

 Help each and everyone with open heart . Always be kind and polite to everyone, have patience. Make your surroundings with humanity, treat animals with love and care . Do the needful for the society. Respect the nature. Learn from open sky. Humans have the power of thinking which is the gift of God. Humanity will make the world beautiful for our future generations. Spread smile always with your words and work. Humanity don't have age. Generosity is humanity. Healthy human is wealthy human. Always run for weak for their support. Humanity service is the best service of life which earns lots of blessings which is uncountable and incomparable to any other things in this world. 

Bharat pilgrimage

 In Bharat to do pilgrimage there are  8 temples/idols of the Ashtavinayaka , 7 Sapta Puri holy cities,  4 Dhams (Char Dham) 12 Jyotirlinga devoted to Shiva,  51 Shakti Pithas The eight temples/idols of the Ashtavinayaka in their religious sequence are: Ashtavinayaka Temples Temple Location 1 Mayureshwar Temple - Morgaon, Pune district 2 Siddhivinayak Temple - Siddhatek, Ahmednagar district 3 Ballaleshwar Temple - Pali, Raigad district 4 Varada Vinayak Temple - Mahad, Raigad district 5 Chintamani Temple -  Theur, Pune district 6 Girijatmaj Temple - Lenyadri, Pune district 7 Vighneshwar Temple - Ozar, Pune district 8 Mahaganapati Temple - Ranjangaon, Pune district Sapta Puri modern names of these seven cities are: (bless the pilgrim with moksha which means liberation from the cycle of birth and death) 1.Ayodhya 2.Mathura 3.Haridwar (Maya or Gaya) 4.Varanasi (Kashi) 5.Kanchipuram (Kanchi) 6.Ujjain (Avantika) 7.Dwarka (Dwaraka)...

Good thoughts

"विपत्ति वो औषधि है जो भगवान से प्यार करा देती है" "Adversity is the medicine that makes one love God"

Chaupai Sahib Path in Hindi

  Chaupai Sahib Path in Hindi  चौपयी साहिब  ੴ स्री वाहगुरू जी की फतह ॥ पातिसाही १० ॥ कबियो बाच बेनती ॥ चौपई ॥ हमरी करो हाथ दै रछा ॥ पूरन होइ चि्त की इछा ॥ तव चरनन मन रहै हमारा ॥ अपना जान करो प्रतिपारा ॥१॥ हमरे दुशट सभै तुम घावहु ॥ आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥ सुखी बसै मोरो परिवारा ॥ सेवक सि्खय सभै करतारा ॥२॥ मो रछा निजु कर दै करियै ॥ सभ बैरिन कौ आज संघरियै ॥ पूरन होइ हमारी आसा ॥ तोरि भजन की रहै पियासा ॥३॥ तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं ॥ जो बर चहों सु तुमते पाऊं ॥ सेवक सि्खय हमारे तारियहि ॥ चुन चुन श्त्रु हमारे मारियहि ॥४॥ आपु हाथ दै मुझै उबरियै ॥ मरन काल का त्रास निवरियै ॥ हूजो सदा हमारे प्छा ॥ स्री असिधुज जू करियहु ्रछा ॥५॥ राखि लेहु मुहि राखनहारे ॥ साहिब संत सहाइ पियारे ॥ दीनबंधु दुशटन के हंता ॥ तुमहो पुरी चतुरदस कंता ॥६॥ काल पाइ ब्रहमा बपु धरा ॥ काल पाइ शिवजू अवतरा ॥ काल पाइ करि बिशन प्रकाशा ॥ सकल काल का कीया तमाशा ॥७॥ जवन काल जोगी शिव कीयो ॥ बेद राज ब्रहमा जू थीयो ॥ जवन काल सभ लोक सवारा ॥ नमशकार है ताहि हमारा ॥८॥ जवन काल सभ जगत बनायो ॥ देव दैत ज्छन उपजायो ॥ आदि अंति एकै अवता...

Japji Sahib in Hindi

 Japji Sahib in Hindi ੴ सतिनामु करता पुरखु  निरभउ निरवैरु अकाल मूरति  अजूनी सैभं  गुरप्रसादि ॥ ॥ जपु ॥ आदि सचु जुगादि सचु ॥ है भी सचु नानक होसी भी सचु ॥१॥ सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार ॥ चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार ॥ भुखिआ भुख न उतरी जे बंना पुरीआ भार ॥ सहस सिआणपा लख होहि त इक न चलै नालि ॥ किव सचिआरा होईऐ किव कूड़ै तुटै पालि ॥ हुकमि रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ॥१॥ हुकमी होवनि आकार हुकमु न कहिआ जाई ॥ हुकमी होवनि जीअ हुकमि मिलै वडिआई ॥ हुकमी उतमु नीचु हुकमि लिखि दुख सुख पाईअहि ॥ इकना हुकमी बखसीस इकि हुकमी सदा भवाईअहि ॥ हुकमै अंदरि सभु को बाहरि हुकम न कोइ ॥ नानक हुकमै जे बुझै त हउमै कहै न कोइ ॥२॥ गावै को ताणु होवै किसै ताणु ॥ गावै को दाति जाणै नीसाणु ॥ गावै को गुण वडिआईआ चार ॥ गावै को विदिआ विखमु वीचारु ॥ गावै को साजि करे तनु खेह ॥ गावै को जीअ लै फिरि देह ॥ गावै को जापै दिसै दूरि ॥ गावै को वेखै हादरा हदूरि ॥ कथना कथी न आवै तोटि ॥ कथि कथि कथी कोटी कोटि कोटि ॥ देदा दे लैदे थकि पाहि ॥ जुगा जुगंतरि खाही खाहि ॥ हुकमी हुकमु चलाए राहु ॥ नानक विगसै वेपरवाहु ॥३॥ साचा साहि...

हनुमान चालीसा

 ॥ जय श्रीराम ॥ ॥ श्रीहनुमते नमः ॥  हनुमान चालीसा दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर स्वयं केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।। विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ त...