ੴ☬ सतनाम वाहेगुरुजी☬ੴ
श्री गुरुनानक देव जी दे प्रकाश पूरब दीन दी लाख लाख वधाइयाँ
बाबा जी आप सबके जीवन में नाम और खुशियाँ चमकाएँ आप सबका भला करे।
आप मुझे अग्नि के रूप में गुरु नानक कहते हैं। 
आपी नारायणु कला धारी जग मह परवरियौ 
नानक ने तीनों बेदियों पर अपने विचार व्यक्त किए। 
सभी छात्र खुश रहें और एक दूसरे की मदद करें। 
आज के कटक सुदी पूर्णमाशी 1469 ई. में राय भोए के तलवंडी (ननकाना साहिब) में श्री गुरु नानक देव साहिब जी ने मेहता कल्याण दास जी और माता तृप्ता देवी जी के घर को दीप प्रज्ज्वलित किया था। आप सभी को गुरु साहिब जी के प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं 
ਜੋਤਿ ਰੂਪਿ ਹਰਿ ਆਪਿ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਕਹਾਯਉ ॥
ਆਪਿ ਨਰਾਇਣੁ ਕਲਾ ਧਾਰਿ ਜਗ ਮਹਿ ਪਰਵਰਿਯਉ ॥
ਤਿੰਨ ਬੇਦੀਯਨ ਕੀ ਕੁਲ ਬਿਖੇ ਪ੍ਰਗਟੇ ਨਾਨਕ ਰਾਇ ॥
ਸਭ ਸਿਖਨ ਕੋ ਸੁਖ ਦਏ ਜੱਹ ਤੱਹ ਭਏ ਸਹਾਇ ॥
ਅੱਜ ਦੇ ਦਿਨ  ਕਤਕ ਸੁਦੀ ਪੂਰਨਮਾਸ਼ੀ ੧੪੬੯ ਈ ਨੂੰ ਰਾਇ ਭੋਏ ਦੀ ਤਲਵੰਡੀ (ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ) ਵਿਖੇ  ਧੰਨ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਨੇ ਮਹਿਤਾ ਕਲਿਆਣ ਦਾਸ ਜੀ  ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਤ੍ਰਿਪਤਾ ਦੇਵੀ ਜੀ ਦੇ ਘਰ ਪ੍ਰਕਾਸ਼  ਧਾਰਿਆ ਸੀ ।
ਆਪ ਸਭ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਪੁਰਬ ਦੀਆਂ ਬੇਅੰਤ ਬੇਅੰਤ ਵਧਾਈਆਂ ਹੋਣ ਜੀ 
नानक साहिब का जन्म 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था, जो कि अब पाकिस्तान में हैं।
इस जगह को ननकाना साहिब के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब लोग अंधविश्वास और आडंबरों को ज्यादा मानते थे। 
बचपन से ही गुरु नानक जी का मन बचपन आध्यात्मिक चीजों की तरफ ज्यादा था।
हिन्दू परिवार में जन्मे गुरु नानक ने सभी धर्मों का व्यापक रूप से अध्ययन किया जिसकी वजह से वो बचपन से ही आध्यात्मिक और ज्ञानी हो गए थे।
 वो किसी भी तरह के अंधविश्वास को नहीं मानते थे और आडंबरों का विद्रोह करते थे।  
गुरु नानक जी के बचपन के कई किस्से बहुत प्रचलित हैं।
 
 
