सुखी होने के दस उपाय। ..........
१. काम में सदैव व्यस्त रहो।
२. अपनी क्षमता को पहिचानो।
३. कभी कभी न बोलना भी सीखो।
४. अपनी गलती स्वीकार करो।
५. व्यवहारीक बनो।
६. सबको राय लेकर निर्णय लो।
७. आए से जादा ख़र्च न करो।
८. गहराई से सोचो फिर बोलो।
९. प्रतिक्षा में धीरज रखो।
१०. सबको सम्मान से बुलाओ।
दुखी होने के दस कारण। ………………
१. देरी से सोना और देरी से उठाना।
२.कोई भी काम समय से न करना।
३. किसीका भी विशवास न करना।
४. सव्य की बात को ही सत्य बताना।
५. कीसीके लिए कुछ न करना।
६. हमेशा सव्य के लिए ही सोचना।
७. लेन देन का हिसाब ना रखना।
८. बिना कारन झ़ुठ बोलना।
९. बिना मांगे सलाह देना।
१०. भुतकाल के सुख को बहुत याद करना।
१. काम में सदैव व्यस्त रहो।
२. अपनी क्षमता को पहिचानो।
३. कभी कभी न बोलना भी सीखो।
४. अपनी गलती स्वीकार करो।
५. व्यवहारीक बनो।
६. सबको राय लेकर निर्णय लो।
७. आए से जादा ख़र्च न करो।
८. गहराई से सोचो फिर बोलो।
९. प्रतिक्षा में धीरज रखो।
१०. सबको सम्मान से बुलाओ।
दुखी होने के दस कारण। ………………
१. देरी से सोना और देरी से उठाना।
२.कोई भी काम समय से न करना।
३. किसीका भी विशवास न करना।
४. सव्य की बात को ही सत्य बताना।
५. कीसीके लिए कुछ न करना।
६. हमेशा सव्य के लिए ही सोचना।
७. लेन देन का हिसाब ना रखना।
८. बिना कारन झ़ुठ बोलना।
९. बिना मांगे सलाह देना।
१०. भुतकाल के सुख को बहुत याद करना।
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