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रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥

 रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥ सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम ॥ भद्रगिरीश्वर सीताराम भगत-जनप्रिय सीताराम ॥  जानकीरमणा सीताराम जय जय राघव सीताराम ॥ रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ॥ 

Humanity

 Help each and everyone with open heart . Always be kind and polite to everyone, have patience. Make your surroundings with humanity, treat animals with love and care . Do the needful for the society. Respect the nature. Learn from open sky. Humans have the power of thinking which is the gift of God. Humanity will make the world beautiful for our future generations. Spread smile always with your words and work. Humanity don't have age. Generosity is humanity. Healthy human is wealthy human. Always run for weak for their support. Humanity service is the best service of life which earns lots of blessings which is uncountable and incomparable to any other things in this world. 

Bharat pilgrimage

 In Bharat to do pilgrimage there are  8 temples/idols of the Ashtavinayaka , 7 Sapta Puri holy cities,  4 Dhams (Char Dham) 12 Jyotirlinga devoted to Shiva,  51 Shakti Pithas The eight temples/idols of the Ashtavinayaka in their religious sequence are: Ashtavinayaka Temples Temple Location 1 Mayureshwar Temple - Morgaon, Pune district 2 Siddhivinayak Temple - Siddhatek, Ahmednagar district 3 Ballaleshwar Temple - Pali, Raigad district 4 Varada Vinayak Temple - Mahad, Raigad district 5 Chintamani Temple -  Theur, Pune district 6 Girijatmaj Temple - Lenyadri, Pune district 7 Vighneshwar Temple - Ozar, Pune district 8 Mahaganapati Temple - Ranjangaon, Pune district Sapta Puri modern names of these seven cities are: (bless the pilgrim with moksha which means liberation from the cycle of birth and death) 1.Ayodhya 2.Mathura 3.Haridwar (Maya or Gaya) 4.Varanasi (Kashi) 5.Kanchipuram (Kanchi) 6.Ujjain (Avantika) 7.Dwarka (Dwaraka)...

Good thoughts

"विपत्ति वो औषधि है जो भगवान से प्यार करा देती है" "Adversity is the medicine that makes one love God"

Chaupai Sahib Path in Hindi

  Chaupai Sahib Path in Hindi  चौपयी साहिब  ੴ स्री वाहगुरू जी की फतह ॥ पातिसाही १० ॥ कबियो बाच बेनती ॥ चौपई ॥ हमरी करो हाथ दै रछा ॥ पूरन होइ चि्त की इछा ॥ तव चरनन मन रहै हमारा ॥ अपना जान करो प्रतिपारा ॥१॥ हमरे दुशट सभै तुम घावहु ॥ आपु हाथ दै मोहि बचावहु ॥ सुखी बसै मोरो परिवारा ॥ सेवक सि्खय सभै करतारा ॥२॥ मो रछा निजु कर दै करियै ॥ सभ बैरिन कौ आज संघरियै ॥ पूरन होइ हमारी आसा ॥ तोरि भजन की रहै पियासा ॥३॥ तुमहि छाडि कोई अवर न धयाऊं ॥ जो बर चहों सु तुमते पाऊं ॥ सेवक सि्खय हमारे तारियहि ॥ चुन चुन श्त्रु हमारे मारियहि ॥४॥ आपु हाथ दै मुझै उबरियै ॥ मरन काल का त्रास निवरियै ॥ हूजो सदा हमारे प्छा ॥ स्री असिधुज जू करियहु ्रछा ॥५॥ राखि लेहु मुहि राखनहारे ॥ साहिब संत सहाइ पियारे ॥ दीनबंधु दुशटन के हंता ॥ तुमहो पुरी चतुरदस कंता ॥६॥ काल पाइ ब्रहमा बपु धरा ॥ काल पाइ शिवजू अवतरा ॥ काल पाइ करि बिशन प्रकाशा ॥ सकल काल का कीया तमाशा ॥७॥ जवन काल जोगी शिव कीयो ॥ बेद राज ब्रहमा जू थीयो ॥ जवन काल सभ लोक सवारा ॥ नमशकार है ताहि हमारा ॥८॥ जवन काल सभ जगत बनायो ॥ देव दैत ज्छन उपजायो ॥ आदि अंति एकै अवता...

Japji Sahib in Hindi

 Japji Sahib in Hindi ੴ सतिनामु करता पुरखु  निरभउ निरवैरु अकाल मूरति  अजूनी सैभं  गुरप्रसादि ॥ ॥ जपु ॥ आदि सचु जुगादि सचु ॥ है भी सचु नानक होसी भी सचु ॥१॥ सोचै सोचि न होवई जे सोची लख वार ॥ चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा लिव तार ॥ भुखिआ भुख न उतरी जे बंना पुरीआ भार ॥ सहस सिआणपा लख होहि त इक न चलै नालि ॥ किव सचिआरा होईऐ किव कूड़ै तुटै पालि ॥ हुकमि रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ॥१॥ हुकमी होवनि आकार हुकमु न कहिआ जाई ॥ हुकमी होवनि जीअ हुकमि मिलै वडिआई ॥ हुकमी उतमु नीचु हुकमि लिखि दुख सुख पाईअहि ॥ इकना हुकमी बखसीस इकि हुकमी सदा भवाईअहि ॥ हुकमै अंदरि सभु को बाहरि हुकम न कोइ ॥ नानक हुकमै जे बुझै त हउमै कहै न कोइ ॥२॥ गावै को ताणु होवै किसै ताणु ॥ गावै को दाति जाणै नीसाणु ॥ गावै को गुण वडिआईआ चार ॥ गावै को विदिआ विखमु वीचारु ॥ गावै को साजि करे तनु खेह ॥ गावै को जीअ लै फिरि देह ॥ गावै को जापै दिसै दूरि ॥ गावै को वेखै हादरा हदूरि ॥ कथना कथी न आवै तोटि ॥ कथि कथि कथी कोटी कोटि कोटि ॥ देदा दे लैदे थकि पाहि ॥ जुगा जुगंतरि खाही खाहि ॥ हुकमी हुकमु चलाए राहु ॥ नानक विगसै वेपरवाहु ॥३॥ साचा साहि...

हनुमान चालीसा

 ॥ जय श्रीराम ॥ ॥ श्रीहनुमते नमः ॥  हनुमान चालीसा दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर स्वयं केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।। विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ त...